एक ख़्वाब सा देखा करती हूँ
कि साथ साथ एक रात आपके
बड़ी दूर तक चलती रहती हूँ
बड़ी तंग तंग सी गलियाँ हैं
लंबे पत्तों के पेड़ भी हैं
ना चाँद है ना कोई तारा है
मैं शून्य सा देखा करती हूँ
कोई बात नही कोई स्पर्श नहीं
बस आगे आप और पीछे मैं
आपके जूते गीले हैं
उस छाप पे पाँव रखती हूँ
हवा बड़ी ठंडी सी है
कुछ अंधेरा कुछ धुँधला है
फिर भी गर्मी और सहारा
आपकी परछाई का लेती हूँ
आगे बढ़कर पूछ्ती हूँ
ध्यान है क्या मैं पीछे हूँ?
आप हल्के से मुस्कुराते हो
मैं जोर से हँस हँस देती हूँ
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